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भारत का भूगोल भाग :- 3 महत्वपूर्ण नदियां। सिंधु नदी तंत्र एवं गंगा नदी तंत्र

भारत का भूगोल

भारत का भूगोल भाग :- 3 महत्वपूर्ण नदियां। सिंधु नदी तंत्र एवं गंगा नदी तंत्र

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सिंधु नदी तंत्र के रोचक तथ्य

सिंधु नदी तंत्र

नमस्कार दोस्तों ! आज हमलोग इस लेख में भारत का अपवाह तंत्र के अंतर्गत एक और महत्वपूर्ण एवं रोचक नदी तंत्र के बारे में जानेंगे जिसका नाम है सिंधु नदी तंत्र इसके अंतर्गत सिंधु नदी तंत्र के महत्वपूर्व तथ्यों से परिचित होंगे। तथा इसके भारत में अपवाहित क्षेत्रो तथा इसके सहायक नदियों को जानेंगे जिसका अधिकांश भाग भारत में प्रवाहित अपवाहित है।

सिंधु नदी तंत्र

सिंधु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के जाल को सिंधु नदी तंत्र के नाम से जाना जाता है। इसका विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिम में 11 लाख 65 हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है। जो विश्व की बड़ी नदी द्रोणियों में से एक है। इसमें से भारत में इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 3,21,289 वर्ग किमी है।

सिंधु नदी तंत्र
स्रोत:- विकिपीडिया , सिंधु नदी तंत्र

इस नदी तंत्र का अधिकांश नदियों का उद्गम हिमालय पर्वत शृंखला से हुआ है जिसमे झेलम, चिनाव, रावी, व्यास, सतलज सिंधु नदी तंत्र की महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ है ये नदियां ‘पंचनद’ के नाम से जानी जाती है। इनमे से झेलम नदी का उद्गम पीरपंजाल से होती है बाकि नदियां हिमालय पर्वत से निकलती है इसमें से सिंधु और सतलज नदी पूर्ववर्ती नदी है। जिसका उद्गम हिमालय के उत्थान से पूर्व हुई है जिसके कारण ये नदियाँ हिमालय पर्वत श्रेणियों में गहरे गॉर्ज , केनियन, खड्ड का निर्माण करती है।

सिंधु नदी तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण नदी सिंधु नदी है। इसी अनुवर्ती नदी में सभी सिंधु नदी तंत्र की नदियाँ समाहित होती है। अकेले सिंधु नदी का हिमालय क्षेत्र में लगभग 2 लाख 50 हजार क्षेत्र में अपवाहित होती है।

इस नदी तंत्र को ‘इंडस नदी तंत्र’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी तंत्र आर्थिक, ऐतिहासिक तथा सामरिक दृष्टि से भारत एवं पाकिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस नदी तंत्र में प्राचीन कालीन सिंधु घाटी की सभ्यता विकसित हुई थी जो एक नगरीय सभ्यता थी यह नदी तंत्र भारत के हरित क्रांति के क्षेत्र तथा पाकिस्तान का जीवन रेखा मानी जाती है।

सिंधु नदी तंत्र की महत्पूर्ण नदियाँ

इस नदी तंत्र में सिंधु प्रमुख अनुवर्ती नदी है। जिसमे इसकी सहायक नदियाँ आकर मिलती है और सिंधु नदी तंत्र का निर्माण करती है। इसमें हिमालय क्षेत्र से श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंज, नूबरा, शिगार, ग्रास्टिंग व द्रास प्रमुख है। इस नदी तंत्र के दाएं किनारे पर काबुल, खुर्रम, तोची, गोमल, विबोआ और संगर आदि मिलती है। जो सुलेमान पर्वत से निकलकर पाकिस्तान में प्रवाहित होते हुए सिंधु नदी में मिलती है। सिंधु नदी के बायें तट पर पाँच प्रमुख नदियां झेलम, चिनाव, रावी, व्यास, सतलज मिलती है। जो इस नदी तंत्र की महत्वपूर्ण नदियाँ है जो भारत की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

सिंधु नदी

यह नदी भारत में हिमालय की नदियों में सबसे पश्चिम में है। इसका उद्गम तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में स्थित मानसरोवर झील के निकट ‘बोखर-चू ‘( Bokharchu ) हिमनद से हुआ है। जो समुद्रतल से 4,164 मीटर की उचाई पर 31 डिग्री 15 मिनट उत्तरी अक्षांश तथा 80 डिग्री 40 मिनट पूर्वी देशांतर में स्थित है। इस स्थान को ‘सिंगी खंबान’ या शेर मुख के नाम से जाना जाता है। इसकी लम्बाई 2880 किमी है जिसमे से 1114 किमी भारत में है। भारत में यह जम्मु कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित राज्य में प्रवाहित होती है।

यह नदी उद्गम स्थान से उत्तर पश्चिम दिशा में लद्दाख और जास्कर श्रेणियों के मध्य से प्रवाहित होते हुए लद्दाख और बालतिस्तान से गुजरती हुई ‘अटक’ में पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है और मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है इसके द्वारा निर्मित सबसे गहरे खड्ड गिलगित ( 5200 मीटर ) है। यह नदी नंगा पर्वत के निकट से होकर गुजरती है तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर यह पाकिस्तान में चिल्ल्ड के निकट दर्दिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है।

हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में श्योक,गिलगित, जास्कर, हुंजा, नूबरा, शिगार, ग्रास्टिंग और द्रास नदियां इसमें मिलती है। जब यह नदी पाकिस्तान के मैदानी प्रदेश में पहुँचती है तब इसके दाहिने किनारे पर सुलेमान पर्वत से निकलने वाली काबुल, कुर्रम, तोची, गोमल, विबोआ, तथा सांगर आदि नदियाँ इसमें मिलती है। मैदानी क्षेत्र में यह नदी दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए मिठानकोट के निकट इसके बाएं किनारे पर मिलने वाली सबसे महत्वपूर्ण एवं लम्बी सहायक नदियाँ झेलम, चिनाव, रावी, व्यास, सतलज है। इन नदियों के समूह को पंचनद तथा अपवाहित क्षेत्र को पंजाब कहा जाता है। अंत में यह नदी दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए पाकिस्तान के कराची के पूरब में अरब सागर में मिलती है।

झेलम नदी ( विस्ता ) नदी

झेलम नदी का उद्गम कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल के गिरिपाद में स्थित वेरीनाग झरने से हुआ है। यह उत्तर-पश्चिम की ओर बहते हुए वुलर झील में प्रवेश करती है। इसके पश्चात बारामुला से आगे यह 2130 मीटर गहरी महाखड्ड का निर्माण करती है इसके बाद मुजफ्फराबाद ( पाकिस्तान ) की ओर मुड़ जाती है और पाकिस्तान में झांग के निकट चिनाव नदी से मिल जाती है।

इस नदी को प्राचीन काल में विस्ता नाम से जानी जाती थी। इस नदी की कुल लम्बाई 724 किमी है जिसमे से 400 किमी भारत में बहती है। इसकी कुल अपवाह क्षेत्र 28,499 वर्ग किमी है। इसी नदी के तट पर श्रीनगर स्थित है। यह नदी अनंतनाग एवं बारामुला के बीच नौगम्य है। यह नदी जम्मु कश्मीर की महत्वपूर्ण नदी है। इसमें ‘शिकारा’ या ‘बंजरे’ ( एक प्रकार के नाव ) चलाये जाते है। तथा इसमें फल, फूल, और सब्जियाँ उगाई जाती है।

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